कबीर परमेश्वर की लीलाएं..👇👇

एक बार द्रौपदी ने अंधे महात्मा को अपनी साड़ी के कपड़े में से टुकड़ा दिया था क्योंकि अंधे महात्मा की कोपीन पानी में बह गई थी। साधु ने आशीर्वाद अनंत चीर पाने का आशीर्वाद दिया। कबीर परमात्मा ने चीरहरण में द्रौपदी का चीर बढ़ाकर लाज बचाई।
गरीब, पीतांबर कूं पारि करि, द्रौपदी दिन्हीं लीर।
अंधे कू कोपीन कसि, धनी कबीर बधाये चीर।।
कबीर साहेब द्वारा सर्वानंद को शरण में लेना
पंडित सर्वानंद ने अपनी माँ से कहा कि मैंने सभी ऋषियों को शास्त्रार्थ में हरा दिया है तो मेरा नाम सर्वाजीत रख दो लेकिन उनकी माँ ने सर्वानंद से कहा कि पहले आप कबीर साहेब को शास्त्रार्थ में हरा दो तब आपका नाम सर्वाजीत रख दिया जाएगा। जब सर्वानंद कबीर साहेब के पास शास्त्रार्थ करने पहुँचे तो कबीर साहेब ने कहा कि आप तो वेद-शास्त्रों के ज्ञाता हैं मैं आपसे शास्त्रार्थ नहीं कर सकता। तब सर्वानंद ने एक पत्र लिखा कि शास्त्रार्थ में सर्वानंद जीते और कबीर जी हार गए। उस पर कबीर साहेब जी से अंगूठा लगवा लिया। लेकिन जैसे ही सर्वानंद अपनी माँ के पास जाते तो अक्षर बदल कर कबीर जी जीते और पंडित सर्वानंद हार गए ये हो जाते। ये देखकर सर्वानंद आश्चर्य चकित हो गए और आखिर में हार मानकर सर्वानंद ने कबीर साहेब की शरण ग्रहण की।
परमात्मा कबीर जी द्वापर युग में करूणामय नाम से प्रकट थे। तब सुपच सुदर्शन बाल्मीकि को उपदेश देकर पार किया। गोरख नाथ को भी समझाया।
गरीब, कल्प करी करुणामई, सुपच दिया उपदेश। सतगुरु गोरख नाथ गति, काल कर्म भये नेस।।
कबीर परमात्मा की अद्भुत लीलाएं
कसाई का उद्धार
गरीब, राम नाम सदने पिया, बकरे के उपदेस। अजामेल से ऊधरे, भगति बंदगी पेस।।
एक सदन नाम का कसाई था। संत गरीबदास जी ने बताया है कि परमेश्वर कबीर जी कहते हैं कि जो मेरी शरण में किसी जन्म में आया है, मुक्त नहीं हो पाया, मैं उसको मुक्त करने के लिए कुछ भी लीला कर देता हूँ। ऐसे ही सदन कसाई को शरण में लेकर सतभक्ति कराकर उद्धार किया था।
एक बार परमात्मा कबीर साहेब जी जब 5 वर्ष की आयु के थे उस समय उन्होंने 104 वर्ष की आयु के रामानंद जी के साथ ज्ञान चर्चा की, उनके साथ कई लीलाएं की, अपना परिचय करवाया तथा सतलोक दिखाया तब रामानंद जी को दृढ़ विश्वास हुआ कि कबीर साहिब ही सृष्टि रचनहार पूर्ण ब्रह्म हैं।
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इसी प्रकार की कबीर परमात्मा की अनेक लीलाए हैं।



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