कबीर परमेश्वर को मारने की व्यर्थ चेष्टा"
कबीर परमेश्वर को तोप के गोलों से मारने की व्यर्थ चेष्टा" कबीर जी को मारने के लिए शेखतकी के आदेश पर पहले पत्थर मारे, फिर तीर मारे। परन्तु परमेश्वर की ओर पत्थर या तीर नहीं आया। फिर चार पहर तक तोप यंत्र से गोले चलाए गए। लेकिन दुष्ट लोग अविनाशी कबीर जी का कुछ नहीं बिगाड़ सके। दिल्ली के सम्राट सिकंदर लोधी ने जनता को शांत करने के लिए अपने हाथों से हथकड़ियाँ लगाई, पैरों में बेड़ी तथा गले में लोहे की भारी बेल डाली आदेश दिया गंगा दरिया में डुबोकर मारने का। उनको दरिया में फैंक दिया। कबीर परमेश्वर जी की हथकड़ी, बेड़ी और लोहे की बेल अपने आप टूट गयी। परमात्मा जल पर सुखासन में बैठे रहे कुछ नहीं बिगड़ा। कबीर साहेब को मारने के लिए शेखतकी ने तलवार से वार करवाये। लेकिन तलवार कबीर साहेब के आर पार हो जाती क्योंकि कबीर साहेब का शरीर पाँच तत्व का नहीं बना था उनका नूरी शरीर था। फिर सभी लोगों ने कबीर साहेब की जय जयकार की। साहेब कबीर को मारण चाल्या, शेखतकी जलील। आर पार तलवार निकल ज्या, समझा नहीं खलील।। "कबीर साहेब को जहरीले बिच्छू द्वारा मारने का प्रयास" शेखतकी के आ...